बाँट लेते हैं ख़ुशियाँ
चलो आज बाँट लेते हैं ख़ुशियाँ,
कि दर्द बाटने में ज़माने लगेंगे ।
मैं गिनाऊं तुमको सितम तुम्हारे,
आप हमारे सितम गिनाने लगेंगे ।
दर्द गहरा है समंदर की मांनिद,
कब तक तिनके के सहारे चलेंगे ।
चुभते हैं आँखों में जो अश्क आज,
कभी न कभी ये भी किनारे लगेंगे।
मत रोको ख़्वाबों को पलको में यूँ,
इन्हें सवारने में अब ज़माने लगेंगे ।
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