कुछ पत्ते शाख़ के
कुछ पत्ते शाख़ के
कुछ पत्ते शाख़ से अबके भी गिरे होंगे,
कुछ लोग तूफ़ान में अबके भी घिरे होंगे,
कुछ रास्ते यूहीं मेरी जानिब भी मुड़े होंगे
गलियों से गए होंगे चौराहे पर रूके होंगे
शहर में लेकिन अबके हम न मिले होंगे ।
न आएगी मिलने अब दीवाली से वो ईद,
तू अपने हिस्से का चांद पास रख लेना
मैं अपने हिस्से से कर लूँगा उसकी दीद,
आज फिर लोग आदतन गले मिले होंगे
शहर में लेकिन अबके हम न मिले होंगे।

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