ये आखिरी गुनाह है.
आज के बाद कर लेंगे सब गुनाहों से तौबा,
ये आखिरी गुनाह है, थोड़ी सी पी कर चलते हैं।
कल आएगा कल, आज अभी है साथ मेरे,
आज इस आज में थोड़ा ठहर कर चलते हैं ।
न जाने कब कर जाए ज़िंदगी बेरूखी हमसे,
मुट्ठी में जो लम्हात हैं वो जी कर चलते हैं ।
न बुलाया कभी उसने न कभी हम जा सके,
आज गुज़रे हैं गली से तो मिलकर चलते हैं ।
कुछ चाक-ए-जिगर मेरे कुछ चाक-ए-जिगर तेरे,
ये घाव पुराने हैं मगर आज सिल कर चलते हैं ।

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